कश्यप मुनि की दो पत्नियां थी कद्रू और विनीता । कद्रू सर्पोंकी माता थी और विनीता गरुड़ की । एक समय की बात है भगवान सूर्य के रथ में जोते हुए अश्व को देखकर कद्रू ने मैं विनीत से कहा… Read More ›
sanatan dharm
जानिए क्यों किया था जनमेजय ने सर्प यज्ञ
अभिमन्यु पुत्र परीक्षित ब्राह्मण कुमार के श्राप के कारण तक्षक नाग के काटने से मारे गए थे । परीक्षित की मृत्यु के बाद उनके पुत्र जनमेजय को राजा बनाया गया । जनमेजय ने कृपाचार्य से धनुर्वेद और अन्य सारे विद्याओं… Read More ›
महाराज परीक्षित की मृत्यु कैसी हुई थी
महाराज परीक्षित पांडु वंश के बड़े प्रतापी राजा थे । अर्जुन पुत्र अभिमन्यु के ये पुत्र थे । कुरुक्षेत्र के युद्ध होने के छत्तीस वर्ष बाद पांडु पुत्र युधिष्ठिर ने परीक्षित को राज सिंहासन पर बिठा कर स्वयं हिमालय चले… Read More ›
गंगा और शांतनु के विवाह की कथा
महाभिष नाम के एक राजा थे । ये राजा बड़े ही धर्मात्मा थे इन राजा ने अनेक पुण्य कर्म किया था और चमरावर्ती राजा थे । इन राजा ने अनेक सत्कर्म और सौ अश्वमेध यज्ञ किये जिसके फलस्वरूप ये राजा… Read More ›
महर्षि वेदव्यास की उत्पत्ति की कथा
महामुनि पराशर तीर्थयात्रा कर रहे थे । घूमते घूमते वे यमुना नदी के तट पर आए । खेवट को पराशर मुनि जी ने नदी पार करने के लिये कहा । उस समय खेवट भोजन कर रहा था , इसीलिए उनोहनें… Read More ›
सत्यवती की उत्पत्ति की कथा – जो वेदव्यस की माता थी
उपरिचर नामके एक धर्मात्मा राजा थे । चेदिदेश में उनकी राजधानी थी । उनोहनें इंद्र की आराधना की जिससे प्रसन्न होकर इंद्र ने उने एक स्फटिक मणिवाला सुंदर विमान दिया । वे उस विमान पर सदा विचरते रहते इसीसे उनकी… Read More ›
राजा पुरुरवा और उर्वशी का विवाह
विवस्वान मनु के पुत्र श्राद्धदेव थे , श्राद्धदेव की पत्नी का नाम श्रद्धा था । श्राद्धदेव और श्रद्धा के पुत्र सुधुम्र थे । एक बार सुधुम्र महादेव से शापित वन में चले गए । इस वन को महादेव ने शाप… Read More ›
सुधुम्र राजा को देवी की कृपा से परमधाम की प्राप्ति की कथा
सुधुम्र नाम के एक राजा थे । जो बड़े ही धर्मात्मा थे इनके मुख से कभी भी असत्य वाणी नहीं निकलती थी । एक दिन राजा एक घोड़े पर सवार होकर जंगल में चले गए , उनके साथ उनके कई… Read More ›
पुरुरवाकी उत्पत्ति की कथा
मेरुगिरि के निचले भाग में एक अति सुंदर वन है । इस वन में कई प्रकार के बड़े-बड़े वृक्ष है और कई प्रकार के फल और पुष्प देने वाले बहोत से वृक्ष है । ऐसे वृक्षों और लताओं से भरे… Read More ›
व्यासपुत्र – शुकदेव जी के जन्म की कथा
एक समय की बात है महर्षि वेदव्यास सरस्वती तट पर स्थित अपने आश्रम पर रहते थे । उनके आश्रम पर दो गौरैया पक्षी रहते थे उन्हें देखकर महर्षि वेदव्यास को बड़ा आश्चर्य हुआ । उन्होंने देखा कि यह पक्षी अभी-अभी… Read More ›