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कृष्ण भाग १३ – पूतना उद्धार

  नन्दबाबा जब मथुरासे चले, तब रास्तेमें विचार करने लगे कि वसुदेवजीका कथन झूठा नहीं हो सकता। इससे उनके मनमें उत्पात होनेकी आशंका हो गयी। तब उन्होंने मन-ही-मन ‘भगवान् ही शरण हैं, वे ही रक्षा करेंगे’ ऐसा निश्चय किया ⁠।⁠… Read More ›