अब बलराम और श्रीकृष्णने पौगण्ड-अवस्थामें अर्थात् छठे वर्षमें प्रवेश किया था। अब उन्हें गौएँ चरानेकी स्वीकृति मिल गयी। वे अपने सखा ग्वालबालोंके साथ गौएँ चराते हुए वृन्दावनमें जाते और अपने चरणोंसे वृन्दावनको अत्यन्त पावन करते । यह वन गौओंके लिये… Read More ›
महाभारत
कृष्ण भाग १९ – यमलार्जुनका उद्धार
पूर्व समय की बात है नलकूबर और मणिग्रीव—ये दोनों धनाध्यक्ष कुबेरके लाड़ले लड़के थे और ये रुद्रभगवान्के अनुचर थे । इससे उनका घमण्ड बढ़ गया। एक दिन वे दोनों मन्दाकिनीके तटपर कैलासके रमणीय उपवनमें वारुणी मदिरा पीकर मदोन्मत्त हो… Read More ›
कृष्णा भाग २ – कंस के अंत की आकाशवाणी
प्राचीन समयकी बात है ,यमुनाके मनोहर तटपर मधुवन नामका एक वन था। वहाँ लवणासुर नामसे विख्यात एक प्रतापी दानव रहता था। उसके पिताका नाम मधु था। वरके प्रभावसे लवणासुरके अभिमानकी सीमा नहीं थी। उस दुष्टसे सभी जीव कष्ट पा… Read More ›
देवी भुवनेश्वरी की कृपा से वेदव्यास द्वारा पांडवों को दिवंगत परिजनों को दिखाने की कहानी
कुरुक्षेत्र के यद्ध के बाद युधिष्टिर हस्तिनापुर के राजा बन गए । धृतराष्ट्रने अठारह वर्षोतक वहीं रहकर अपना कष्टमय जीवन व्यतीत किया । एक दिन धृतराष्ट्र ने अपना शेष जिवन वन में बिताने का निर्णय लिया और अपने इस निर्णय… Read More ›
क्यों होना पड़ा था सर्पों को जनमेजय के यज्ञ में भस्म और क्यों कि थी आस्तिक मुनि ने उस यज्ञ में सर्पों की रक्षा
कश्यप मुनि की दो पत्नियां थी कद्रू और विनीता । कद्रू सर्पोंकी माता थी और विनीता गरुड़ की । एक समय की बात है भगवान सूर्य के रथ में जोते हुए अश्व को देखकर कद्रू ने मैं विनीत से कहा… Read More ›
जानिए कैसे रुरुमुनि द्वारा मुक्ति मिली थी शाप से अजगर बने ब्राह्मण को
पूर्वकाल मे रुरु नाम के एक मुनि थे जिनका जन्म भृगु वंशी प्रमति की पत्नी प्रतापी के गर्भ से हुआ था । रुरुमुनि का विवाह स्थूलकेशी नाम के एक मुनि की पुत्री प्रमद्वारा से तय हुआ था । प्रमद्वारा नाम… Read More ›
आधी आयु देकर रुरु मुनि द्वारा मरी हुई अपनी भावी पत्नी को जीवित करने की कथा
भृगु के कुल में प्रमती नाम के एक पुरुष उत्पन्न हुए थे प्रमति की पत्नी का नाम प्रतापी था । प्रतापी के गर्भ से रुरुमुनि का जन्म हुआ था जो महान तेजस्वी थे । उसी समय की बात है स्थूलकेशी… Read More ›
जानिए क्यों किया था जनमेजय ने सर्प यज्ञ
अभिमन्यु पुत्र परीक्षित ब्राह्मण कुमार के श्राप के कारण तक्षक नाग के काटने से मारे गए थे । परीक्षित की मृत्यु के बाद उनके पुत्र जनमेजय को राजा बनाया गया । जनमेजय ने कृपाचार्य से धनुर्वेद और अन्य सारे विद्याओं… Read More ›
सत्यवती और शांतनु के विवाह की कथा
महाराज शांतनु हस्तिनापुर की सम्राट थे । देवी गंगा और उनका विवाह हुआ था । विवाह के समय रखे गए शर्त को तोड़ने के कारण गंगा शांतनु को छोड़कर चली गई थी इसीलिए शान्तनु अकेले ही अपना जीवन व्यतीत कर… Read More ›
भीष्म के जन्म की कथा
एक समय की बात है महर्षि वशिष्ठ के यहां अष्ठ वसु पधारे थे । वशिस्ठ ने उन सबका आदर सत्कार किया और सभी सुख सुविधाएं उपलब्ध कराई । महर्षि के इस आदर सत्कार से सारे वसु अति प्रसन्न हुए ।… Read More ›