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जानिए क्या किया था राजा परीक्षित ने श्रृंगी ऋषि से शाप मिलने के बाद
भगवान श्रीकृष्ण के अवतार समाप्ति के बाद पृथ्वीपर कलियुग आरम्भ हो गया । जब कलियुग ने अभिमन्यु पुत्र परीक्षित के राज्य में प्रवेश किया तब परीक्षित कलियुग को मारने के लिए तैयार होगये । राजा को हाथमे तलवार लिए देख… Read More ›
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राजा परीक्षित को श्रृंगी ऋषिके शाप की कथा
द्वापर युग के अंत में भगवान श्री कृष्ण ने पृथ्वी पर अवतार धारण करके अधर्मी राजाओं के भार से पृथ्वी को मुक्त किया था । जब भगवान श्रीकृष्ण अपना अवतार कार्य समाप्त करके अपने धाम को चले गए तब पंडवोने… Read More ›
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महाराज परीक्षितद्वारा कलीयुगका दमन
पांडवों के शरीर त्यागने के बाद अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित राजा हुए । परीक्षित बहुत ही धर्मात्मा और प्रजास्नेही थे । वे सदा ही ब्राह्मणो की सलाह के अनुसार राज्य का कार्यभार चलाते । एक समय उनको सूचना मिली कि… Read More ›
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परीक्षितकी दिग्विजय तथा धर्म और पृथ्वीका संवाद
पांडवोंके अपने जीवन का त्याग करने के बाद उनके वंशज महाराज परीक्षित हस्तिनापुर साम्राज्य का शासन करने लगे । ब्राह्मणों की शिक्षा और सलाह के अनुसार परीक्षित अपना राज्य चलाया करते थे । उनके जन्म के समय ज्योतिषियों ने उनके… Read More ›
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देवर्षी नारद के पूर्व जन्म की कथा ।
एक दिन की बात है महर्षि वेदव्यास प्रातःकाल उठकर स्नान आदि करके सरस्वती नदी के तट पर स्थित अपने आश्रम पर बैठे थे । उनोहनें महाभारत और देवताओं के पराक्रम और लीलाओं से पूर्ण अनेक पुराणों का निर्माण किया था… Read More ›
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भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों का वर्णन
भगवान को जब सृष्टि करने की इच्छा उत्पन्न हुई तो उन्होंने अपने पुरुष रूप को प्रकट किया और कारण जल में शयन किया । उनके उसे पुरुष रूप के नाभि से एक कमल उत्पन्न हुआ जिस में ब्रह्मा जी का… Read More ›
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श्रीमदभागवत श्रवण के प्रभावसे भक्ति,ज्ञान,वोराग्य का बूढ़े से युवा हो जाना
देवर्षी नारद भगवान के परम भक्तों में से एक है । वे सदा भ्रमण करते रहते है । एक समय की बात है नारदजी को सनकादि मुनि मिल गए । सनकादि ऋषियों ने नारदजी से पूछा , नारद तुम इतने… Read More ›
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श्रीमद्भागवत श्रवण के प्रभाव से धुंधुकारी को पिशाच शरीर से मुक्ति की कथा
कलियुग के प्रारंभ में , आत्मदेव और धुंधुलि नाम के पति पत्नी तुंगभद्रा नदी के तट पर स्तिथ एक नगर में वास करते थे । आत्मदेव के पास संपत्ति और सुख सुविधा की कोई कमी नही थी । आत्मदेव वेदों… Read More ›
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आत्मदेव के पुत्र धुंधुकारी और गोकर्ण के जन्म की कथा
पूर्व समय की बात है तुंगभद्रा नदी के तटपर एक सुंदर नगर बसा था, उस नगर में सारे वर्णों के अनेक लोग अपने – अपने वर्ण अनुसार कर्म में लगे रहते थे । उसी नगर में आत्मदेव नाम के एक… Read More ›
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भगवती जगदंबा की कृपा से राजा सत्यव्रत को शाप से मुक्ति और राज्य प्राप्ति की कथा
राजा मान्धाता की उत्पत्ति पिता के कोख से हुई थी । स्वयं देवराज इंद्र ने जन्म के बाद इनकी रक्षा की थी । राजा मांधाता के वंश में अरुण नाम के एक राजा हुए , राजा अरुण के पुत्र का… Read More ›
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जानिए पिता के पेट से उत्पन्न बालक की कथा जो आगे चलकर राजा मान्धाता कहलाए
बहोत पहले की बात है,महाराज कुकुत्स्य अयोध्या के राजा थे । राजा कुकुत्स्य को इंद्रावह भी कहा जाता था क्यों कि इनोहनें दैत्यों के साथ युद्ध मे इंद्र को अपना वाहन बनाया था । दैत्यों को युद्ध मे पराजय करने… Read More ›
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देवी भक्त राजा पुरंजय की कथा जिसने दैत्यों के साथ युद्ध में देवराज इंद्र को अपना वाहन बनाया था
पूर्व समय की बात है इक्ष्वाकु अयोध्या के राजा थे । राजा इक्ष्वाकु को सूर्यवंश का प्रवर्तक माना जाता है । वंश की वृद्धि के लिए राजा इक्ष्वाकु ने भगवती जगदंबा की बहुत ही कठिन तपस्या की थी । देवर्षि… Read More ›
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भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का रेवत की पुत्री रेवती के साथ विवाह की कथा
वैवस्वत मनु के कुल में रेवत नाम के एक राजा हुए । शत्रुओंको परास्त करनेवाले रेवत ने समुद्र के मध्य एक सुंदर नगरी का निर्माण करवाया था । उस नगरी का नाम कुशस्थली था, उसी नगर में रहकर रेवत अपने… Read More ›
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अश्विनी कुमारों का सोमरस पान के अधिकार प्राप्ति की कथा
राजकुमारी सुकन्या महाराज शर्याति की पुत्री थी । राजा शर्याति ने अपनी पुत्री सुकन्या का विवाह च्यवन ऋषि से करवाया था । च्यवन ऋषि अंधे थे और बूढ़े भी थे । सुकन्या की अपने पति के प्रति श्रद्धा देखकर अश्विनी… Read More ›
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अश्विनी कुमारों की सहायता से चवन ऋषि का युवा होना और भगवती जगदंबा की कृपा से सुकन्या का अपने युवा पति को पहचानना
च्यवन ऋषि भगवती जगदंबा के परम भक्त थे । वे सदा अपना समय जगदंबा का ध्यान करने में व्यतीत करते थे । एक सरोवर के निकट जो मानसरोवर की तुलना करने वाला था महर्षि तपस्या कर रहे थे । उनके… Read More ›