महाभिष नाम के एक राजा थे । ये राजा बड़े ही धर्मात्मा थे इन राजा ने अनेक पुण्य कर्म किया था और चमरावर्ती राजा थे । इन राजा ने अनेक सत्कर्म और सौ अश्वमेध यज्ञ किये जिसके फलस्वरूप ये राजा… Read More ›
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सत्यवती की उत्पत्ति की कथा – जो वेदव्यस की माता थी
उपरिचर नामके एक धर्मात्मा राजा थे । चेदिदेश में उनकी राजधानी थी । उनोहनें इंद्र की आराधना की जिससे प्रसन्न होकर इंद्र ने उने एक स्फटिक मणिवाला सुंदर विमान दिया । वे उस विमान पर सदा विचरते रहते इसीसे उनकी… Read More ›
राजा पुरुरवा और उर्वशी का विवाह
विवस्वान मनु के पुत्र श्राद्धदेव थे , श्राद्धदेव की पत्नी का नाम श्रद्धा था । श्राद्धदेव और श्रद्धा के पुत्र सुधुम्र थे । एक बार सुधुम्र महादेव से शापित वन में चले गए । इस वन को महादेव ने शाप… Read More ›
सुधुम्र राजा को देवी की कृपा से परमधाम की प्राप्ति की कथा
सुधुम्र नाम के एक राजा थे । जो बड़े ही धर्मात्मा थे इनके मुख से कभी भी असत्य वाणी नहीं निकलती थी । एक दिन राजा एक घोड़े पर सवार होकर जंगल में चले गए , उनके साथ उनके कई… Read More ›
व्यासपुत्र – शुकदेव जी के जन्म की कथा
एक समय की बात है महर्षि वेदव्यास सरस्वती तट पर स्थित अपने आश्रम पर रहते थे । उनके आश्रम पर दो गौरैया पक्षी रहते थे उन्हें देखकर महर्षि वेदव्यास को बड़ा आश्चर्य हुआ । उन्होंने देखा कि यह पक्षी अभी-अभी… Read More ›
शुकदेव जी के विहाव की कथा
महर्षि वेदव्यास सरस्वती नदी के तटपर अपने आश्रम में निवास करते थे । उनके आश्रम पर स्थित दो गौरैया पक्षियों को अपने बच्चों से लाड प्यार करते देख उनके मन में भी पुत्र प्राप्ति की इच्छा उत्पन्न हुई । तब… Read More ›
श्रीमद देवीभागवत की प्राकट्य की कथा
सरस्वती नदी के तट पर स्थित अपने आश्रम पर महर्षि वेदव्यास अपने पुत्र शुकदेव जी को विवाह करने के लिए को मना रहे थे । गृहस्थ आश्रम के प्रति उनकी निरसक्ति और इसके कष्टदाई होने की बातों को सुनकर और… Read More ›
शुकदेवजी के गृहत्याग की कथा
शुकदेव जी महर्षि वेद व्यास के औरस पुत्र थे । इनका जन्म महर्षि वेद व्यास के वीर्य का घृताची नाम की स्वर्ग की अप्सरा को देख लकडीपर गिरने से हुआ था । उस वक़्त ओ अप्सरा वेदव्यास जी से डर… Read More ›
महर्षि वेदव्यास जी की पुत्र प्राप्ति की इच्छा
एक समय की बात है महर्षि वेदव्यास सरस्वती नदी के तट पर ,अपने आश्रम पर थे । उनके आश्रम पर दो गौरैया पक्षी रहते थे । उन्हें देखकर वे बड़े आश्चर्यचकित हो गए । उन्होंने देखा कि अभी अभी अंडे… Read More ›
देवी भागवत महात्मय – राजा दुर्दम और उनकी पत्नी रेवती के पुत्र रैवत का मन्वंतर के स्वामी होने की कथा
रुत्वाक मुनी बड़े ही विलक्षण बुद्धि वाले थे । रेवती का चौथा चरण गण्डान्त होता है । इस काल में जन्म लेने के कारण उनका पुत्र अति दुराचारी बन गया और इस कारणवश रुत्वाक मुनि को बहुत ही दुख और… Read More ›