devi bhagwat puran

पुरुरवाकी उत्पत्ति की कथा

 मेरुगिरि के निचले भाग में एक अति सुंदर वन है । इस वन में कई प्रकार के बड़े-बड़े वृक्ष है और कई प्रकार के फल और पुष्प देने वाले बहोत से वृक्ष है । ऐसे वृक्षों और लताओं से भरे… Read More ›

व्यासपुत्र – शुकदेव जी के जन्म की कथा

 एक समय की बात है महर्षि वेदव्यास सरस्वती तट पर स्थित अपने आश्रम पर रहते थे । उनके आश्रम पर दो गौरैया पक्षी रहते थे उन्हें देखकर महर्षि वेदव्यास को बड़ा आश्चर्य हुआ । उन्होंने देखा कि यह पक्षी अभी-अभी… Read More ›

श्रीमद देवीभागवत की प्राकट्य की कथा

सरस्वती नदी के तट पर स्थित अपने आश्रम पर महर्षि वेदव्यास अपने पुत्र शुकदेव जी को  विवाह करने के लिए को मना रहे थे । गृहस्थ आश्रम के प्रति उनकी निरसक्ति और इसके कष्टदाई होने की बातों को सुनकर और… Read More ›

शुकदेवजी के गृहत्याग की कथा

शुकदेव जी महर्षि वेद व्यास के औरस पुत्र थे । इनका जन्म महर्षि वेद व्यास के वीर्य का घृताची नाम की स्वर्ग की अप्सरा को देख लकडीपर गिरने से हुआ था । उस वक़्त ओ अप्सरा वेदव्यास जी से डर… Read More ›

भगवान विष्णु जी का सर क्यों काट गया था

एक समय की बात है भगवान विष्णु  दैत्यों के साथ 10000 वर्ष तक युद्ध करके थक गए थे । तब वे अपने वैकुंठ धाम में गए और वहां उन्होंने अपने धनुष को जमीन पर रख दिया और पद्मासन लगाकर योग… Read More ›

महर्षि वेदव्यास जी की पुत्र प्राप्ति की इच्छा

एक समय की बात है महर्षि वेदव्यास  सरस्वती नदी के तट पर ,अपने आश्रम पर थे । उनके आश्रम पर दो गौरैया पक्षी रहते थे । उन्हें देखकर वे बड़े आश्चर्यचकित हो गए । उन्होंने देखा कि अभी अभी अंडे… Read More ›

देवी भागवत श्रवण का महात्मय – रुत्वाक मुनि के दुख निवारण की कथा

 रुत्वाक नाम के एक विलक्षण बुद्धि वाले मुनि थे । समय आने पर उनके घर पुत्रोत्सव हुआ । रेवती का चौथा चरण गण्डान्त होता है ; उसीमे उस बालक की उत्पत्ति हुई थी । मुनिने उस लड़के के जातकर्म आदि… Read More ›