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कृष्ण भाग १६ – कृष्ण-बलराम का नामकरण संस्कार
यदुवंशियोंके कुलपुरोहित थे श्रीगर्गाचार्यजी। वे बड़े तपस्वी थे। वसुदेवजीकी प्रेरणासे वे एक दिन नन्दबाबाके गोकुलमें आये । उन्हें देखकर नन्दबाबाको बड़ी प्रसन्नता हुई। वे हाथ जोड़कर उठ खड़े हुए। उनके चरणोंमें प्रणाम किया। इसके बाद ‘ये स्वयं भगवान् ही… Read More ›
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कृष्ण भाग १५ – तृणावर्त उद्धार
पूर्व समय की बात है ,पाण्डुदेशमें सहस्राक्ष नामके एक राजा थे। वे नर्मदा-तटपर अपनी रानियोंके साथ विहार कर रहे थे। उधरसे दुर्वासा ऋषि निकले, परन्तु उन्होंने प्रणाम नहीं किया। ऋषिने शाप दिया—‘तू राक्षस हो जा।’ जब वह उनके चरणोंपर… Read More ›
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कृष्ण भाग १४ – शकट भंजन
पूर्व समय की बात है हिरण्याक्ष नामक दैत्य का पुत्र था उत्कच। वह बहुत बलवान् एवं मोटा-तगड़ा था। एक बार यात्रा करते समय उसने लोमश ऋषिके आश्रमके वृक्षोंको कुचल डाला। लोमश ऋषिने क्रोध करके शाप दे दिया—‘अरे दुष्ट! जा,… Read More ›
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कृष्ण भाग १३ – पूतना उद्धार
नन्दबाबा जब मथुरासे चले, तब रास्तेमें विचार करने लगे कि वसुदेवजीका कथन झूठा नहीं हो सकता। इससे उनके मनमें उत्पात होनेकी आशंका हो गयी। तब उन्होंने मन-ही-मन ‘भगवान् ही शरण हैं, वे ही रक्षा करेंगे’ ऐसा निश्चय किया ।… Read More ›
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कृष्ण भाग १२ – गोकुलमें भगवान्का जन्ममहोत्सव
नन्दबाबा बड़े मनस्वी और उदार थे। पुत्रका जन्म होनेपर तो उनका हृदय विलक्षण आनन्दसे भर गया। उन्होंने स्नान किया और पवित्र होकर सुन्दर-सुन्दर वस्त्रा-भूषण धारण किये। फिर वेदज्ञ ब्राह्मणोंको बुलवाकर स्वस्तिवाचन और अपने पुत्रका जातकर्म-संस्कार करवाया। साथ ही देवता… Read More ›
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कृष्ण भाग ११ – कंस का देवकी वासुदेव से क्षमा मांगना और उसके मंत्रियों संग चर्चा
जब देवी योगमाया कंस के हाथ से छूटकर अपने बाल स्वरूप को त्यागकर अष्टभुजा रूप धारणकर कंस को चेतावनी देकर अंतर्धान होगयी तब देवीकी यह बात सुनकर कंसको असीम आश्चर्य हुआ। उसने उसी समय देवकी और वसुदेवको कैदसे छोड़… Read More ›
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कृष्णा भाग १० – कंसके हाथसे छूटकर योगमायाका आकाशमें जाकर भविष्यवाणी करना
जब वसुदेवजी लौट आये, तब नगरके बाहरी और भीतरी सब दरवाजे अपने-आप ही पहलेकी तरह बंद हो गये। इसके बाद नवजात शिशुके रोनेकी ध्वनि सुनकर द्वारपालोंकी नींद टूटी । वे तुरन्त भोजराज कंसके पास गये और देवकीको सन्तान होनेकी बात… Read More ›
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कृष्ण भाग ९ – वसुदेवजी द्वारा कृष्णा को गोकुल लेके जाना और कन्या रूपी योगमाया को लेके आना
मथुरा के कारागृह में पूर्ण परब्रह्म भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर राजाओं के रूप में जन्म लिए हुए राजाओं का अंत करने के लिए अवतार ले लिया था । उसी समय गोकुलमे नन्दपत्नी यशोदाके गर्भसे उस योगमायाका जन्म हुआ,… Read More ›
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कृष्ण भाग ८ – भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य
देवकी के आठवें गर्भ के आठवें महीने में समस्त शुभ गुणोंसे युक्त बहुत सुहावना समय आया। रोहिणी नक्षत्र था। आकाशके सभी नक्षत्र, ग्रह और तारे शान्त,सौम्य हो रहे थे । दिशाएँ स्वच्छ प्रसन्न थीं। निर्मल आकाशमें तारे जगमगा रहे… Read More ›
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कृष्ण भाग ७ – भगवान का गर्भ प्रवेश और देवताओं द्वारा गर्भ स्तुति
कंस एक तो स्वयं बड़ा बली था और दूसरे, मगधनरेश जरासन्धकी उसे बहुत बड़ी सहायता प्राप्त थी। तीसरे, उसके साथी थे-प्रलम्बासुर, बकासुर, चाणूर, तृणावर्त, अघासुर, मुष्टिक, अरिष्टासुर, द्विविद, पूतना, केशी और धेनुक। तथा बाणासुर और भौमासुर आदि बहुत-से दैत्य… Read More ›