भागवत पुराण

कृष्ण भाग १८ – श्रीकृष्णका ऊखलसे बाँधा जाना

  एक समयकी बात है, नन्दरानी यशोदाजीने घरकी दासियोंको तो दूसरे कामोंमें लगा दिया और स्वयं (अपने लालाको मक्खन खिलानेके लिये) दही मथने लगीं ⁠⁠। अबतक भगवान्‌की जिन-जिन बाल-लीलाओंका वर्णन किया है, दधिमन्थनके समय वे उन सबका स्मरण करतीं और… Read More ›

कृष्ण भाग १७ – यशोदा माता को मुख में ब्रह्मांड दिखाना

जब राम और श्याम दोनों कुछ और बड़े हुए, तब व्रजमें घरके बाहर ऐसी-ऐसी बाललीलाएँ करने लगे, जिन्हें गोपियाँ देखती ही रह जातीं। जब वे किसी बैठे हुए बछड़ेकी पूँछ पकड़ लेते और बछड़े डरकर इधर-उधर भागते, तब वे दोनों… Read More ›

कृष्ण भाग १६ – कृष्ण-बलराम का नामकरण संस्कार

  यदुवंशियोंके कुलपुरोहित थे श्रीगर्गाचार्यजी। वे बड़े तपस्वी थे। वसुदेवजीकी प्रेरणासे वे एक दिन नन्दबाबाके गोकुलमें आये ⁠।⁠ उन्हें देखकर नन्दबाबाको बड़ी प्रसन्नता हुई। वे हाथ जोड़कर उठ खड़े हुए। उनके चरणोंमें प्रणाम किया। इसके बाद ‘ये स्वयं भगवान् ही… Read More ›

कृष्ण भाग १५ – तृणावर्त उद्धार

  पूर्व समय की बात है ,पाण्डुदेशमें सहस्राक्ष नामके एक राजा थे। वे नर्मदा-तटपर अपनी रानियोंके साथ विहार कर रहे थे। उधरसे दुर्वासा ऋषि निकले, परन्तु उन्होंने प्रणाम नहीं किया। ऋषिने शाप दिया—‘तू राक्षस हो जा।’ जब वह उनके चरणोंपर… Read More ›

कृष्ण भाग १४ – शकट भंजन

  पूर्व समय की बात है हिरण्याक्ष नामक दैत्य का  पुत्र था उत्कच। वह बहुत बलवान् एवं मोटा-तगड़ा था। एक बार यात्रा करते समय उसने लोमश ऋषिके आश्रमके वृक्षोंको कुचल डाला। लोमश ऋषिने क्रोध करके शाप दे दिया—‘अरे दुष्ट! जा,… Read More ›

कृष्ण भाग १२ – गोकुलमें भगवान्‌का जन्ममहोत्सव

   नन्दबाबा बड़े मनस्वी और उदार थे। पुत्रका जन्म होनेपर तो उनका हृदय विलक्षण आनन्दसे भर गया। उन्होंने स्नान किया और पवित्र होकर सुन्दर-सुन्दर वस्त्रा-भूषण धारण किये। फिर वेदज्ञ ब्राह्मणोंको बुलवाकर स्वस्तिवाचन और अपने पुत्रका जातकर्म-संस्कार करवाया। साथ ही देवता… Read More ›

कृष्ण भाग ११ – कंस का देवकी वासुदेव से क्षमा मांगना और उसके मंत्रियों संग चर्चा

  जब देवी योगमाया कंस के हाथ से छूटकर अपने बाल स्वरूप को त्यागकर अष्टभुजा रूप धारणकर कंस को चेतावनी देकर अंतर्धान होगयी तब देवीकी यह बात सुनकर कंसको असीम आश्चर्य हुआ। उसने उसी समय देवकी और वसुदेवको कैदसे छोड़… Read More ›

कृष्णा भाग १० – कंसके हाथसे छूटकर योगमायाका आकाशमें जाकर भविष्यवाणी करना

जब वसुदेवजी लौट आये, तब नगरके बाहरी और भीतरी सब दरवाजे अपने-आप ही पहलेकी तरह बंद हो गये। इसके बाद नवजात शिशुके रोनेकी ध्वनि सुनकर द्वारपालोंकी नींद टूटी ⁠।⁠ वे तुरन्त भोजराज कंसके पास गये और देवकीको सन्तान होनेकी बात… Read More ›

कृष्ण भाग ९ – वसुदेवजी द्वारा कृष्णा को गोकुल लेके जाना और कन्या रूपी योगमाया को लेके आना

  मथुरा के कारागृह में पूर्ण परब्रह्म भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर राजाओं के रूप में जन्म लिए हुए राजाओं का अंत करने के लिए अवतार ले लिया था । उसी समय गोकुलमे नन्दपत्नी यशोदाके गर्भसे उस योगमायाका जन्म हुआ,… Read More ›

कृष्ण भाग ८ – भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य

  देवकी के आठवें गर्भ के आठवें महीने में समस्त शुभ गुणोंसे युक्त बहुत सुहावना समय आया। रोहिणी नक्षत्र था। आकाशके सभी नक्षत्र, ग्रह और तारे शान्त,सौम्य हो रहे थे ।⁠ दिशाएँ स्वच्छ प्रसन्न थीं। निर्मल आकाशमें तारे जगमगा रहे… Read More ›

कृष्ण भाग ७ – भगवान का गर्भ प्रवेश और देवताओं द्वारा गर्भ स्तुति

  कंस एक तो स्वयं बड़ा बली था और दूसरे, मगधनरेश जरासन्धकी उसे बहुत बड़ी सहायता प्राप्त थी। तीसरे, उसके साथी थे-प्रलम्बासुर, बकासुर, चाणूर, तृणावर्त, अघासुर, मुष्टिक, अरिष्टासुर, द्विविद, पूतना, केशी और धेनुक। तथा बाणासुर और भौमासुर आदि बहुत-से दैत्य… Read More ›

कृष्ण भाग ६ -भगवान शेषनाग का देवकी और वसुदेवजी के सातवें पुत्र के रूप में जन्म

हर एक परिस्थिति में अपने कर्तव्य की जानकारी रखने वाले और विकट से विकट स्थिति में भी पूर्ण निष्ठा के साथ धर्म पालन करने वाले महात्मा वसुदेवजी ने आकाशवाणी के समय दिए हुए वचन अनुसार जन्म लेते ही उनके पुत्रों… Read More ›

कृष्ण भाग ५ – कंसद्वारा देवकी और वासुदेव के छः पुत्रों की हत्या

  पहले पुत्र के जन्म के बाद वसुदेवजी ने आकाशवाणी के समय दिए हुए वचन अनुसार उनके पुत्र को लेकर कंस की महल की और चल पड़े । मार्गमें जाते समय जनताने उनकी बड़ाई आरम्भ कर दी। दर्शकोंने कहा, भाइयो!… Read More ›

कृष्ण भाग ४ -वसुदेव और देवकी के पहले पुत्र का जन्म और वासुदेव द्वारा बालक को कंस को देने जाना

कंस के कोप से देवकी को बचाकर वसुदेवजी अपने घर चले आये । देवकी बड़ी सती-साध्वी थी। सारे देवता उसके शरीरमें निवास करते थे। देवी स्वरूपा देवकी वसुदेवजीके साथ मर्यादाके अनुसार रहने लगीं। उपयुक्त समय आनेपर उन्हें गर्भ रह गया।… Read More ›

कृष्ण भाग ३ – वसुदेवजीकी बुद्धिमत्तासे देवकीकी कंसकी तलवारसे रक्षा

कंस बड़ा पापी था। उसकी दुष्टताकी सीमा नहीं थी। वह भोजवंशका कलंक ही था। आकाशवाणी सुनते ही उसने तलवार खींच ली और अपनी बहिनकी चोटी पकड़कर उसे मारनेके लिये तैयार हो गया था। वह अत्यन्त क्रूर तो था ही, पाप-कर्म… Read More ›