जब देवी योगमाया कंस के हाथ से छूटकर अपने बाल स्वरूप को त्यागकर अष्टभुजा रूप धारणकर कंस को चेतावनी देकर अंतर्धान होगयी तब देवीकी यह बात सुनकर कंसको असीम आश्चर्य हुआ। उसने उसी समय देवकी और वसुदेवको कैदसे छोड़… Read More ›
कंस
कृष्ण भाग ९ – वसुदेवजी द्वारा कृष्णा को गोकुल लेके जाना और कन्या रूपी योगमाया को लेके आना
मथुरा के कारागृह में पूर्ण परब्रह्म भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर राजाओं के रूप में जन्म लिए हुए राजाओं का अंत करने के लिए अवतार ले लिया था । उसी समय गोकुलमे नन्दपत्नी यशोदाके गर्भसे उस योगमायाका जन्म हुआ,… Read More ›
कृष्ण भाग ८ – भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य
देवकी के आठवें गर्भ के आठवें महीने में समस्त शुभ गुणोंसे युक्त बहुत सुहावना समय आया। रोहिणी नक्षत्र था। आकाशके सभी नक्षत्र, ग्रह और तारे शान्त,सौम्य हो रहे थे । दिशाएँ स्वच्छ प्रसन्न थीं। निर्मल आकाशमें तारे जगमगा रहे… Read More ›
कृष्ण भाग ७ – भगवान का गर्भ प्रवेश और देवताओं द्वारा गर्भ स्तुति
कंस एक तो स्वयं बड़ा बली था और दूसरे, मगधनरेश जरासन्धकी उसे बहुत बड़ी सहायता प्राप्त थी। तीसरे, उसके साथी थे-प्रलम्बासुर, बकासुर, चाणूर, तृणावर्त, अघासुर, मुष्टिक, अरिष्टासुर, द्विविद, पूतना, केशी और धेनुक। तथा बाणासुर और भौमासुर आदि बहुत-से दैत्य… Read More ›
कृष्ण भाग ६ -भगवान शेषनाग का देवकी और वसुदेवजी के सातवें पुत्र के रूप में जन्म
हर एक परिस्थिति में अपने कर्तव्य की जानकारी रखने वाले और विकट से विकट स्थिति में भी पूर्ण निष्ठा के साथ धर्म पालन करने वाले महात्मा वसुदेवजी ने आकाशवाणी के समय दिए हुए वचन अनुसार जन्म लेते ही उनके पुत्रों… Read More ›
कृष्ण भाग ५ – कंसद्वारा देवकी और वासुदेव के छः पुत्रों की हत्या
पहले पुत्र के जन्म के बाद वसुदेवजी ने आकाशवाणी के समय दिए हुए वचन अनुसार उनके पुत्र को लेकर कंस की महल की और चल पड़े । मार्गमें जाते समय जनताने उनकी बड़ाई आरम्भ कर दी। दर्शकोंने कहा, भाइयो!… Read More ›