देवी भागवत पुराण

जानिए क्यों हैहयवंशी क्षत्रियों ने भृगुवंशी ब्राह्मणों का संहार किया था

  भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी के एक पुत्र थे । जिनका नाम हैहय था, यह एकवीर के नामसे भी जाने जाते थे । इन्हीं हैहय के नाम से, उनके कुल में उत्पन्न क्षत्रियों को हैहयवंशी कहा जाता है ।… Read More ›

वशिष्टजी का मैत्रावारुणि नाम क्यों पड़ा

महर्षि वशिष्ठ राजा निमि के कुल गुरु थे । एक समय की बात है राजा निमि ने एक राजसी यज्ञ करने का संकल्प लिया । इस यज्ञ की अवधि 5 वर्ष की थी ।  राजा ने इस यज्ञ के लिए… Read More ›

वशिष्ट जी का राजा निमि को शाप और भगवती जगदम्बा द्वारा राजा को वरदान

 बहुत पहले की बात है निमि नाम के एक राजा रहते थे , जो बड़े ही धर्मात्मा थे । निमि ने एक समय,  राजसि यज्ञ करने का संकल्प लिया । आवश्यक समस्त वस्तुओं का उन्होंने संग्रह कर लिया , यज्ञ… Read More ›

जानिए क्यों अगस्त्यमुनि ने इंद्र पद पर नियुक्त नहुष को सर्प होने का शाप दिया था

बहुत पहले की बात है, इंद्र ने त्वष्ठा के पुत्र वृत्रासुर की हत्या कर दी थी । उस समय वृत्रासुर स्वर्ग का राजा था और भगवान विष्णु के सलाह अनुसार इंद्र वृत्रासुर से मित्रता करके रह रहे थे । एक… Read More ›

जानिए इंद्र ने कैसे ब्रह्मा हत्या के पाप से मुक्ति पाई थी

देवराज इंद्र ने ,स्वर्ग खोने के भय है त्वष्टा के पुत्र त्रिशिरा का अपने वज्र से वध कर दिया था । अपने पुत्र की मृत्यु का बदला लेने के लिए, त्वष्ठा ने एक दूसरे पुत्र वृत्रासुर को उत्पन्न किया था… Read More ›

भगवती जगदंबा की कृपा से शचि को अपने पति इंद्र के दर्शन की कथा

बहुत पहले की बात है वृत्रासुर नाम के  दैत्य ने देवराज इंद्र से  स्वर्ग छीन लिया था ।  देवताओं के  स्वर्ग से  बाहर निकाल कर दिया था । भगवान विष्णु के कहने पर देवताओं ने वृत्रासुर से इंद्र की मित्रता… Read More ›

देवी भुवनेश्वरी की कृपा से इंद्र द्वारा वृत्रासुर के वध की कथा

वृत्रासुर नाम का एक दैत्य था , जिसे प्रजापति त्वष्ठा ने ,इंद्रा से आपने पुत्र त्रिशिरा की मृत्यु का बदला लेने के लिए उत्पन्न किया था । वृत्रासुर ने बृह्मा की तपस्या की और उनसे वरदान पाकर वह अति बलशाली… Read More ›

ब्रह्मके वरदान से वृत्रासुर का इंद्र बनने की कथा

इंद्र ने अपने पद खोने के भय के कारण ,प्रजापति त्वष्ठा के पुत्र त्रिशिरा की हत्या कर दी । तब त्वष्ठा ने इंद्र से बदला लेने के लिए यज्ञ करके वृत्रासुर नाम के एक दूसरे पुत्र को उत्पन्न किया ।… Read More ›

वृत्रासुर द्वारा इंद्रकी पराजय की कथा

त्वष्ठा प्रजापति का त्रिशिरा नाम का एक पुत्र था ,जिसे इंद्र ने तपस्या करते समय पद खोने के भय से ,दुखी होकर अपने वज्र से मार डाला था । अपने पुत्र की इस हत्या का बदला लेने के लिए ,… Read More ›

वृत्रासुर के जन्म की कथा

एक समय की बात है त्वष्ठा प्रजापति के पद पर नियुक्त थे ।  महान तपस्वी त्वष्ठा को देवताओं में प्रधान माना जाता था । वे बड़े ही कार्यकुशल और ब्राह्मण प्रेमी थे । इंद्रा के साथ कुछ वैमनास्थ होजाने के… Read More ›

देवी भुवनेश्वरी की कृपा से वेदव्यास द्वारा पांडवों को दिवंगत परिजनों को दिखाने की कहानी

कुरुक्षेत्र के यद्ध के बाद युधिष्टिर हस्तिनापुर के राजा बन गए । धृतराष्ट्रने अठारह वर्षोतक वहीं रहकर अपना कष्टमय जीवन व्यतीत किया । एक दिन धृतराष्ट्र ने अपना शेष जिवन वन में बिताने का निर्णय लिया और अपने इस निर्णय… Read More ›

क्यों होना पड़ा था सर्पों को जनमेजय के यज्ञ में भस्म और क्यों कि थी आस्तिक मुनि ने उस यज्ञ में सर्पों की रक्षा

कश्यप मुनि की दो पत्नियां थी कद्रू और विनीता । कद्रू सर्पोंकी माता थी और विनीता गरुड़ की । एक समय की बात है भगवान सूर्य के रथ में जोते हुए अश्व को देखकर कद्रू ने मैं विनीत से कहा… Read More ›

जानिए कैसे रुरुमुनि द्वारा मुक्ति मिली थी शाप से अजगर बने ब्राह्मण को

पूर्वकाल मे रुरु नाम के एक मुनि थे जिनका जन्म भृगु वंशी प्रमति की पत्नी प्रतापी के गर्भ से हुआ था । रुरुमुनि का विवाह स्थूलकेशी नाम के एक मुनि की पुत्री प्रमद्वारा से तय हुआ था । प्रमद्वारा नाम… Read More ›

आधी आयु देकर रुरु मुनि द्वारा मरी हुई अपनी भावी पत्नी को जीवित करने की कथा

भृगु के कुल में प्रमती नाम के एक पुरुष उत्पन्न हुए थे प्रमति की पत्नी का नाम प्रतापी था । प्रतापी के गर्भ से रुरुमुनि का जन्म हुआ था जो महान तेजस्वी थे । उसी समय की बात है स्थूलकेशी… Read More ›

जानिए क्यों किया था जनमेजय ने सर्प यज्ञ

अभिमन्यु पुत्र परीक्षित ब्राह्मण कुमार के श्राप के कारण तक्षक नाग के काटने से मारे गए थे । परीक्षित की मृत्यु के बाद उनके पुत्र जनमेजय को राजा बनाया गया । जनमेजय ने कृपाचार्य से धनुर्वेद और अन्य सारे विद्याओं… Read More ›