पूर्वकाल की बात है, भगवान विष्णु के वाहन गरुडजीकी माता विनता और सर्पोंकी माता कद्रूमें परस्पर वैर था। माताका वैर स्मरण कर गरुडजी जो सर्प मिलता उसीको खा जाते। इससे व्याकुल होकर सब सर्प ब्रह्माजीकी शरणमें गये। तब ब्रह्माजीने… Read More ›
कृष्ण अवतार
कृष्ण भाग २५ – कालियपर कृपा
यमुनाजीमें कालिय नागका एक कुण्ड था। उसका जल विषकी गर्मीसे खौलता रहता था। यहाँतक कि उसके ऊपर उड़नेवाले पक्षी भी झुलसकर उसमें गिर जाया करते थे । उसके विषैले जलकी उत्ताल तरंगोंका स्पर्श करके तथा उसकी छोटी-छोटी बूँदें लेकर… Read More ›
कृष्ण भाग २४ – धेनुकासुरका उद्धार
अब बलराम और श्रीकृष्णने पौगण्ड-अवस्थामें अर्थात् छठे वर्षमें प्रवेश किया था। अब उन्हें गौएँ चरानेकी स्वीकृति मिल गयी। वे अपने सखा ग्वालबालोंके साथ गौएँ चराते हुए वृन्दावनमें जाते और अपने चरणोंसे वृन्दावनको अत्यन्त पावन करते । यह वन गौओंके लिये… Read More ›
कृष्ण भाग २३ – ब्रह्माजीके द्वारा भगवान्की स्तुति
ब्रह्माजीने स्तुति की—प्रभो! एकमात्र आप ही स्तुति करनेयोग्य हैं। मैं आपके चरणोंमें नमस्कार करता हूँ। आपका यह शरीर वर्षाकालीन मेघके समान श्यामल है, इसपर स्थिर बिजलीके समान झिलमिल-झिलमिल करता हुआ पीताम्बर शोभा पाता है, आपके गलेमें घुँघचीकी माला, कानोंमें… Read More ›
कृष्ण भाग २२ – ब्रह्माजीका मोह और उसका नाश
भगवान् श्रीकृष्णने अपने साथी ग्वालबालोंको मृत्युरूप अघासुरके मुँहसे बचा लिया। इसके बाद वे उन्हें यमुनाके पुलिनपर ले आये और उनसे कहने लगे— ‘मेरे प्यारे मित्रो! यमुनाजीका यह पुलिन अत्यन्त रमणीय है। देखो तो सही, यहाँकी बालू कितनी कोमल… Read More ›
कृष्ण भाग २१ – अघासुरका उद्धार
एक दिन नन्दनन्दन श्यामसुन्दर वनमें ही कलेवा करनेके विचारसे बड़े तड़के उठ गये और सिंगी बाजेकी मधुर मनोहर ध्वनिसे अपने साथी ग्वालबालोंके मनकी बात जनाते हुए उन्हें जगाया और बछड़ोंको आगे करके वे व्रज-मण्डलसे निकल पड़े । श्रीकृष्णके साथ… Read More ›
कृष्ण भाग २० – गोकुलसे वृन्दावन जाना तथा वत्सासुर और बकासुरका उद्धार
सर्वशक्तिमान् भगवान् कभी-कभी गोपियोंके फुसलानेसे साधारण बालकोंके समान नाचने लगते। कभी भोले-भाले अनजान बालककी तरह गाने लगते। वे उनके हाथकी कठपुतली- उनके सर्वथा अधीन हो गये । वे कभी उनकी आज्ञासे पीढ़ा ले आते, तो कभी दुसेरी आदि तौलनेके… Read More ›
कृष्ण भाग १९ – यमलार्जुनका उद्धार
पूर्व समय की बात है नलकूबर और मणिग्रीव—ये दोनों धनाध्यक्ष कुबेरके लाड़ले लड़के थे और ये रुद्रभगवान्के अनुचर थे । इससे उनका घमण्ड बढ़ गया। एक दिन वे दोनों मन्दाकिनीके तटपर कैलासके रमणीय उपवनमें वारुणी मदिरा पीकर मदोन्मत्त हो… Read More ›
कृष्ण भाग १८ – श्रीकृष्णका ऊखलसे बाँधा जाना
एक समयकी बात है, नन्दरानी यशोदाजीने घरकी दासियोंको तो दूसरे कामोंमें लगा दिया और स्वयं (अपने लालाको मक्खन खिलानेके लिये) दही मथने लगीं । अबतक भगवान्की जिन-जिन बाल-लीलाओंका वर्णन किया है, दधिमन्थनके समय वे उन सबका स्मरण करतीं और… Read More ›
कृष्ण भाग १७ – यशोदा माता को मुख में ब्रह्मांड दिखाना
जब राम और श्याम दोनों कुछ और बड़े हुए, तब व्रजमें घरके बाहर ऐसी-ऐसी बाललीलाएँ करने लगे, जिन्हें गोपियाँ देखती ही रह जातीं। जब वे किसी बैठे हुए बछड़ेकी पूँछ पकड़ लेते और बछड़े डरकर इधर-उधर भागते, तब वे दोनों… Read More ›