एक बार पूर्ण परब्रह्म श्री कृष्ण अपने गोलोक स्तिथ वृन्दावन में अपनी प्रिय राधा जी के साथ विहार कर रहे थे । ये वृन्दावन अनेक तरह के सरोवरों से , नाना प्रकार के पेड़ों से भरा है ।, अनेक पहाड़ और बहोत ही सुगंधित पुष्प इस वन की शोभा बढ़ा रहे थे ।
अनेक गोप और गोपिया, राशेश्वर भगवान श्रीकृष्ण और राशेश्वरी भगवती श्री राधाजी के साथ विहार कर रहे थे । बहोत देर तक यूँ वृन्दावन में विहार करने के बाद भगवान श्री कृष्ण को दूध पीने की इच्छा हुई ।
भगवान के यूँ इच्छा होते ही उनके शरीर से एक गाय बछड़े का साथ ही प्रकट होगयी यही देवी सिरभी माता कहलाई । देवी सुरभि के प्रकट होते ही भगवान श्रीकृष्ण के साख श्रीदामा ने एक बर्तन लेकर सुरभि देवी का दूध निकाला और श्रीकृष्ण को दिया । भगवान श्रीकृष्ण इस दूध को पीकर तृप्त होगये जो जन्म और म्रत्यु को दूर करने वाला था , बाद में ओ बर्तन गिर गया और जो दूध बचा था वो धरती पर गिर गया और गोलोक में इससे एक दूध का सरोवर बन गया जिसका लंबाई और चौड़ाई सब और से सौ सौ योजन थी ।
गोलोक में यह सरोवर क्षीरसरोवर के नाम से जाना जाता है । गोपियों के लिए और श्री राधा जी के लिए क्रीड़ा सरोवर बन गया । उसी समय उन सुरभि गौ के रोम कूपो से अकस्मात ही असंख्य कामधेनु प्रकट हो गयी जो अपने साथ बछड़ो को लेकर ही प्रकट हुई थी ।
इनके अनेक पुत्र और पौत्र हुए जिनसे सारा जगत व्याप्त है ।
सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण ने इन सुरभि देवी की पूजा की । उसके बाद सारे संसार मे इनकी पूजा की प्रथा आरम्भ होगयी । दीपावली के दूसरे दिन भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञासे देवी सुरभि की पूजा सम्पन्न हुई थी , इसीलिए संसार में दीपावली के दूसरे दिन गौ पूजन किया जाता है ।
एक बार वरहकल्प मे सुरभि देवी ने दूध देना बंद करदिया , सब सारी सृष्टि में दूध का अभाव होगया । तब सारे देवताओं ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की और समस्या का समाधान पूछा तब उनोहनें देवराज इंद्र को सुरभि देवी की पूजा करने को कहा । इंद्र की प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवी सुरभि ब्रह्मलोक में ही प्रकट होगयी और देवताओं को वर देकर वही से गोलक चली गयी।
इसके बाद सृष्टि में दूध की कमी नही रही ।
सुरभि देवी का यह चरित्र पढ़ने और सुनने से , मनुष्य गोधन से सम्पन्न होगा ।
Categories: श्री कृष्ण की कथाएँ
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